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Showing posts from December, 2022

राजस्थान का एकीकरण कितने चरण में हुआ था।

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  राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया जाता है। राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ इसमें 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे। आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासते की 3 ठिकाने और 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था। ठिकाने – लावा, कुशलगढ़, नीमराना ठिकाना।                                     प्रथम चरण  ● नाम – मत्स्य संघ ● स्थापना – 18 मार्च, 1948 ● राजधानी – अलवर ● प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत ( अलवर के ) चार रियासत— अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और नीमराणा (अलवर) ठिकाना को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया। उद्धघाटन – केंद्रीय मंत्री एन. वी. गाडगिल (नरहरि विष्णु गाॅडविल) द्वारा राजप्रमुख – धौलपुर महाराजा उदयभान सिंह उपराजप्रमुख – गणेश पाल, करौली मत्स्य संघ नाम श्री के.एम.मुंशी ने सुझाया।                                  ...

30 दिसंबर की ऐतिहासिक घटना

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30 दिसंबर का इतिहास आज इस आर्टिकल में हम आपको 30 दिसंबर का इतिहास – 30 दिसंबर  के बारे में बताने जा रहे है। हमारा इतिहास इतना बड़ा है कि इसे याद रख पाना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है। इसीलिए हमारी वेबसाइट पर हम आपको हर रोज यानी तारीख के हिसाब से आज की दिन घटित हुई घटनाओं का विवरण दे रहे है जिसकी मदद से आप अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है। -सुप्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार, कवि और पत्रकार रुडयार्ड किपलिंग का जन्म 30 दिसंबर 1865 को बंबई (मुंबई) महाराष्ट्र में हुआ था। -अमेरिका के न्यूयार्क में आज ही के दिन 1873 में माप तौल के लिए मेट्रोलाॅजिकल सोसायटी का गठन हुआ। -बीसवीं सदी के महान् संत और समाज सेवक रमण महर्षि का जन्म 30 दिसंबर 1879 में  हुआ। -रूस और फ्रांस ने आज ही के दिन 1893 में सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किये। -अखिल भारतीय मुस्लीम लीग की आज ही के दिन 1906 में स्थापना ढाका (अब बंगलादेश) में हुई। -लंदन में 30 दिसंबर 1919 में वकालत के लिए प्रथम महिला विद्यार्थी का प्रवेश किया गया। -भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी सौरभ वर्मा का जन्म 30 दिसंबर 1922 में हुआ। -रूस की राजधानी मास्को के बोलश...

राजस्थान प्रजामण्डल स्थापना

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  राजस्थान प्रजामण्डल स्थापना प्रजामण्डल का अर्थ है प्रजा का संगठन। सन 1920 के दशक में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ गए। इस कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये जा रहे थे, साथ ही देश भर में गांधी जी के नेतृत्व में देश में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था। इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृती आयी और उन्होंने संगठन बना कर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया जो प्रजामण्डल आंदोलन कहलाये। जयपुर प्रजामण्डल  जयपुर प्रजामण्डल राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था। • स्थापना – 1931 • संस्थापक – कपुरचंद पाटनी, चिरंजिलाल मिश्र • पुर्नगठन – जमनालाल बजाज – 1936-37 • अधिवेशन – 1938 – जयपुर • अध्यक्ष – जमनालाल बजाज • अतिथि – कस्तूरबा गांधी • संदेश – स्वदेशी एवं खादी का प्रयोग • जननेता – हिरालाल शास्त्री • जयपुर प्रजामंडल के द्वारा जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय के विरुद्ध उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिए संघर्ष प्रारम्भ होता है| इस संघर्ष में 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के समय मानसिंह द्वितीय का प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल हिरालाल शास्त्री के साथ एक समझौता...

मुस्लिम लिंग स्थापना कब हुईं

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  मुस्लिम लिंग स्थापना बंगाल के विभाजन ने सांप्रदायिक फुट को जन्म दिया था भारतीय राष्ट्रवाद पर लार्ड कर्जन का सबसे बड़ा हमला था बंगाल का विभाजन करना बंग-भंग राष्ट्रवाद पर हमला होने के साथ ही हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने की कुटिल नीति का हिस्सा था इस कारण 1904 में बंग भंग की योजना का औचित्य मुस्लिम जनता को समझाते हुए कर्जन ने दावा किया था बंगाली मुसलमानों को एकता का ऐसा अवसर प्रदान किया जा रहा है जो मुसलमान सूबेदारों और बादशाहों के समय से उन्हे नसीब नहीं हुआ था ब्रिटीश सरकार द्वारा मुसलमानों को यह अवसर क्यों प्रदान किया गया इसे पूर्वी बंगाल के नए प्रांत के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर ब्लामफील्ड फूलर ने अपने भाषणों मे स्पष्ट किया कि अंग्रेज सरकार की दो पत्नियां हैं हिंदू और मुसलमान इनमें वह मुसलमान को अधिक चाहती है सरकार की यह विभाजनकारी नीति एक बड़ी सीमा तक सफल रही 1906मे पूर्वी बंगाल में हुए दंगे इस नीति का ही नतीजा थे बंगाल विभाजन के विरोध में जो स्वदेशी आंदोलन चलाया उस में मुसलमान बड़ी संख्या में अलग रहे इसका प्रमुख कारण था कि अंग्रेज द्वारा मुसलमानों ...

राजस्थान में 1857 के विद्रोह का वर्णन

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  1857 के विद्रोह:- इस सेना की छावनी जोधपुर से कुछ दूर एरिनपुरा में थी। अँग्रेज़ सेना की राजस्थान की छह प्रमुख छावनियों में यह भी एक थी। राजस्थान में स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत 28 मई, 1857 को नसीराबाद से हुई थी। राजस्थान में क्रांति की शुरुआत नासिराबाद छावनी अजमेर से 28 मई 1857 को हुई। इससे पहले नसीराबाद छावनी का निर्माण 25 जून 1818 को किया गया। 15वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के सैनिक बख्तावर सिंह द्वारा अंग्रेज अधिकारी प्रिचार्ड से पूछे। जिनका जवाब अंग्रेज अधिकारी द्वारा ऊटपटाँग तरीके से दिया गया। क्रांति शुरू होने के समय राजपूताना में नसीराबाद, नीमच, देवली, ब्यावर, एरिनपुरा एवं खेरवाड़ा में सैनिक छावनियाँ थी। मेरठ में हुए विद्रोह (10 मई,1857) की सूचना राजस्थान के ए.जी.जी. (एजेन्ट टू गवर्नर जनरल) जार्ज पैट्रिक लॉरेन्स को 19 मई, 1857 को प्राप्त हुई।  राजस्थान में क्रांति का प्रारम्भ 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी के 15वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिकों द्वारा हुआ। नसीराबाद छावनी के सैनिकों में 28 मई, 1857 को विद्रोह कर छावनी को लूट लिया तथा अंग्रेज अधिकारियों के बंगलों पर आक्...

ग्रेगोरियन कैलेंडर और विक्रम संवत इतिहास, शुरुआत कैसे हूई

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  ग्रेगोरी कालदर्शक इसकी शुरुआत विक्रम संवतसंख्या 57 से हूई। दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपान्तरण है। इसे पोप ग्रेगोरी XIII ने लागू किया था। 1582 में पोप ग्रेगोरी 13वे ने इस कैलेंडर की शुरुआत की थी। और उनके नाम से ही इस कैलेंडर का नाम ग्रेगोरियन कैलेंडर पड़ा।  इस कैलेंडर के मुताबिक 1 जनवरी साल का पहला दिन होता हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल के 365 दिन होते हैं, लेकिन हर चौथे साल में 1 दिन बढ़कर साल के 366 दिन हो जाते हैं. और ऐसे साल को लीप वर्ष कहा जाता हैं।  सूर्य पर आधारित ये पंचांग 400 सालों बाद फिर दोहराया जाता हैं। जऔर इन 400 सालों में 303 सामान्य वर्ष होते हैं।  और 97 लीप वर्ष होते हैं। 303 सामान्य वर्षों में 365 दिन होते हैं, जबकि 366 दिन वाले वर्ष 97 होते हैं।   अधिवर्ष  ऐसा वर्ष होता जिसमे एक दिन या एक माह अधिक होता है। इसका उद्देश्य कलेण्डर या पंचांग के वर्ष को खगोलीय वर्ष के साथ बनाकर रखना है। कलेण्डर या पंचांग वर्ष में पूरे पूरे दिन ही हो सकते है लेकिन खग...

29 दिसंबर का इतिहास की घटना

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  29 दिसंबर -मुग़ल शासक बाबर का बेटा हुमायूं आज ही के दिन 1530 में उसका उत्तराधिकारी बना। -ब्रिटेन की सेना ने 29 दिसंबर 1778 में अमेरिकी राज्य जॉर्जिया पर कब्जा किया। -कप्तान विलियम के आदेश के तहत आज ही के दिन 1812 में यूएसएस संविधान, एक तीन घंटे की लड़ाई के बाद ब्राजील के तट पर एचएमएस जावा कब्जा। -29 दिसंबर 1851 में पहली अमेरिकी वायएमसीए बोस्टन, मैसाचुसेट्स में खुला था। -आज ही के दिन 1860 ने पहले ब्रिटिश समुद्री लोहा पहने युद्धपोत, एचएमएस योद्धा शुरू की है। -प्रसिद्ध साहित्यकार गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी का जन्म 29 दिसंबर 1881 में हुआ। -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष वोमेश चन्‍द्र बनर्जी का जन्म 29 दिसंबर 1844 में हुआ। -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष डब्ल्यू सी बनर्जी का जन्म 29 दिसंबर 1884 में हुआ। -कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा का जन्म 29 दिसंबर 1904 में हुआ। -सुन यात सेन को आज ही के दिन 1911 में नए चीन गणतंत्र का राष्ट्रपति घोषित किया गया। -मंगोलिया 29 दिसंबर 1911 में किंग वंश के शासन से आजाद हुआ। -प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म निर्देशक तथा ख...

20 दिसंबर की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं

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  20 दिसंबर की ऐतिहासिक घटनाएं 1757 : 20 दिसंबर को ही क्लाइव को बंगाल का गवर्नर बनाया गया था।  1924 : जर्मनी में एडोल्फ हिटलर की समय से पहले जेल से रिहाई हुई थी।  1942 : कलकत्ता पर जापानियों का पहला हवाई हमला आज ही के दिन हुआ था।  1955 : भारतीय गोल्फ यूनियन की स्थापना हुई थी।  1971 : जनरल याह्या खां ने पाकिस्तान का राष्ट्रपति पद छोड़ा था, इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो राष्ट्रपति बने थे।  1973 : यूरोपीय देश स्पेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री एडमिरल लुईस करेरो ब्लांको की मैड्रिड में एक कार बम हमले में मौत हुई थी।  1985 : तिरूपति में भगवान वेंकटेश्वर को रत्नजड़ित मुकुट पहनाया गया, जिसकी कीमत उस समय 2 करोड़ रूपये आंकी गई थी।  1988 : संसद ने संविधान संशोधन के माध्यम से मतदान करने की आयु 21 से घटाकर 18 साल करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।  1990 : भारत और पाकिस्तान एक दूसरे पर परमाणु हमला नहीं करने पर सहमत हुए थे।  1999 : पुर्तगाल ने मकाउ क्षेत्र चीन को सौंपा था।  2007 : पाकिस्तान की संघीय शरीयत अदालत ने पाकिस्तान नागरिकता अधिनियम को महिलाओ...

भारत के गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी का निधन 19 दिसंबर 1860 में हुआ।

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  लार्ड हार्डिंग के स्थान पर 1848 में अर्ल ऑफ़ डलहौजी गवर्नर-जनरल नियुक्त किया गया , जिसे भारत में उसके सुधारों के लिए जाना जाता है जिसने भारत में प्रथम रेलगाड़ी, डाक व्यवस्था, तार व्यवस्था जैसी आधुनिक सुविधाएं भारत को प्रदान किन। लेकिन इसके  विपरीत वह एक घोर साम्राज्यवादी था जिसने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाने के लिए हड़प नीति, कुशासन का आरोप लगाकर भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाया। इस ब्लॉग में हम लार्ड डलहौजी के सुधार और उसकी नीतियों की समीक्षा करेंगें।    डलहौजी डलहौजी के नौवें अर्ल जॉर्ज रामसे के तीसरे पुत्र थे। उनके परिवार में सैन्य और सार्वजनिक सेवा की परंपरा थी, लेकिन दिन के मानकों के अनुसार, उन्होंने बहुत अधिक धन जमा नहीं किया था, और इसके परिणामस्वरूप, डलहौजी अक्सर वित्तीय चिंताओं से परेशान रहते थे। कद में छोटा, वह कई शारीरिक दुर्बलताओं से भी पीड़ित था। अपने पूरे जीवन में उन्होंने इस विचार से ऊर्जा और संतुष्टि प्राप्त की कि वे निजी बाधाओं के बावजूद सार्वजनिक सफलता प्राप्त कर रहे हैं।          ऑक्सफोर्ड के क्राइस्...

जानिए क्रांतिकारी बिस्मिल और अशफाकउल्लाह खान को आखिर क्यों दी गई फांसी

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  11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर शहर के खिरनीबाग मुहल्ले में जन्मे रामप्रसाद अपने पिता मुरलीधर और माता मूलमती की दूसरी सन्तान थे। उनसे पूर्व एक पुत्र पैदा होते ही मर चुका था। बालक की जन्म-कुण्डली व दोनों हाथ की दसो उँगलियों में चक्र के निशान देखकर एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी - "यदि इस बालक का जीवन किसी प्रकार बचा रहा, यद्यपि सम्भावना बहुत कम है, तो इसे चक्रवर्ती सम्राट बनने से दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पायेगी।' माता-पिता दोनों ही सिंह राशि के थे और बच्चा भी सिंह-शावक जैसा लगता था अतः ज्योतिषियों ने बहुत सोच विचार कर तुला राशि के नामाक्षर र पर नाम रखने का सुझाव दिया। माता-पिता दोनों ही राम के आराधक थे अतः बालक का नाम रामप्रसाद रखा गया। माँ मूलमती तो सदैव यही कहती थीं कि उन्हें राम जैसा पुत्र चाहिये था। बालक को घर में सभी लोग प्यार से राम कहकर ही पुकारते थे। रामप्रसाद के जन्म से पूर्व उनकी माँ एक पुत्र खो चुकी थीं अतः जादू-टोने का सहारा भी लिया गया। एक खरगोश लाया गया और नवजात शिशु के ऊपर से उतार कर आँगन में छोड़ दिया गया। खरगोश ने आँगन के दो-चार चक्कर लगाये औ...