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राजस्थान की इतिहास एव स्थापित कला के प्रमुख दुर्ग।

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  राजस्थान में प्राचीन काल से ही हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा मध्यकाल से मुस्लिम धर्म के अनुयायियों द्वारा मंदिर, स्तम्भ, मठ, मस्जिद, मक़बरे, समाधियों और छतरियों का निर्माण किया जाता रहा है। इनमें कई भग्नावेश के रूप में तथा कुछ सही हालत में अभी भी विद्यमान है। 1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग :- ● स्थान – चितौड़गढ़ ● निर्माता – चित्रांगद मौर्य (सिसोदिया वंश),  निर्माण – सातवीं शताब्दी ● श्रेणी – गिरी दुर्ग ● अन्य नाम – चित्रकूट, राजस्थान का गौरव, राजस्थान का दक्षिणी प्रवेश द्वार, राजस्थान के दुर्गों का सिरमौर ● प्रचलित कहावत – “गढ़ तो चितौड़गढ़, बाकी सब गढ़ैया” यह दुर्ग क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा दुर्ग है। साके :- इस दुर्ग में तीन साके हुए – 1. प्रथम साका :- सन् 1303 ई. में मेवाड़ के महाराणा रावल रतनसिंह के समय चित्तौड़ का प्रथम साका हुआ। रानी पद्मिनी द्वारा जौहर किया गया। आक्रमणकारी अल्लाउद्दीन खिलजी था। उसने दुर्ग का नाम बदलकर खिजाबाद। द्वितीय साका :- 1534-35 ई. में मेवाड़ के शासक विक्रमादित्य के समय शासक बहादुर शाह ने आक्रमण किया। युद्ध के उपरान्त महाराणी कर्मावती ने जौहर किया। तृतीय स...

राजस्थान का प्राचीन ऐतिहासिक सभ्यता कालीबंगा आहड़ गणेश्वर बालाथल।

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राजस्थान का प्राचीन सभ्यता  राजस्थान अपनी जटिल भू-जैविकीय संरचना के लिये जाना जाता है। इस सम्पूर्ण प्रदेश को अरावली पर्वत माला दो भिन्न भागों में बांटती है। इस पर्वतमाला के पूर्व का भाग हरा-भरा क्षेत्र है तो पश्चिमी भाग बलुई स्तूपों वाला रेगिस्तान। प्रागैतिहासिक काल में विश्व दो भूखण्डों- अंगारालैण्ड तथा गौंडवाना लैण्ड में बंटा हुआ था। इन दोनों भूखण्डों के बीच में टेथिस महासागर था। राजस्थान के मरुस्थलीय एवं मैदानी भाग टेथिस सागर को नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से पाट दिये जाने से बने जबकि गौंडवाना लैण्ड के एक अंश के विलग होकर उत्तर की ओर खिसकने से राजस्थान के अरावली पर्वत एवं दक्षिणी पठार बने। कालीबंगा :-  राजस्थान में दृषद्वती और सरस्वती नदी की घाटी में पुराविद अमलानंद घोष ने करीब दो दर्जन पुरास्थलों / प्राचीन सभ्यता स्थल की खोज की। इनमें हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित कालीबंगा प्रमुख है। बाद में डॉ . बी.बी. लाल और बी.के. थापर के निर्देशन में यहाँ खुदाई हुई। खुदाई में यहाँ सिंधु – सरस्वती सभ्यता काल का एक नगर मिला है, जिसके मकानों में ईंटों का प्रयोग किया गया था...