राजस्थान के प्रमुख त्यौहार कब और कैसे मनाया जाते है।
शिक्षा डेस्क :- धुलण्डी:- भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पन्न एक लोकप्रिय प्राचीन हिंदू त्योहार है। इस त्योहार को भारतीय “वसंत का त्योहार”, “रंगों का त्योहार” या “प्रेम का त्योहार” के रूप में जाना जाता है। चैत्र माह की कृष्ण प्रतिपदा को होली के दूसरे दिन धुलंडी मनायी जाती है । पहली शाम को होलिका दहन या छोटी होली के रूप में जाना जाता है और अगले दिन होली, रंगवाली होली, धुलेटी, धुलंडी, या फगवा के रूप में जाना जाता है।
अक्षय तृतीया/आखा तीज :- वैषाख शुक्ल तृतीया इस दिन से सतयुग व त्रेता युग का आरम्भ माना जाता है। इसे आखा तीज भी कहते है। इस दिन राजस्थान में सर्वाधिक बाल-विवाह होते है।
शीतलाष्टमीः- यह त्योहार चैत्र कृष्ण अष्टमी को मनाया जाता है | शीतलाअष्टमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन शीतला माता की पूजा होती है और व्रत भी रखा जाता है। इस दिन बासी खाना खाया जाता है जिस से इसे ‘बासिड़ा‘ कहा जाता है । राजस्थान के जोधपुर में भी शीतलाष्टमी की धूमधाम से पूजा की जाती है। शीतलामाता का मंदिर चाकसू-जयपुर में है । यह त्योहार इसलिए मनाया जात्ता है क्योकि शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा करने से संक्रामक रोग होते हैं |
घींगा गंवर गणगौरः- वैषाख कृष्ण तीज धींगा गंवर बैंत मार मेला जोधपुर में आयोजित होता है। वैषाख पूर्णिमाः- बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ।
गणगौर – चैत्र शुक्ल तृतीया गणगौर से पूर्व (1 दिन) सिंजारा भेजा जाता है। यह गणगौर, शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है। इस दिन कुँवारी कन्याएं मनपसंद वर प्राप्ति का तथा विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है। जयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है। बिना ईसर की गणगौर जैसलमेर की प्रसिद्ध है। इस त्यौहार से त्यौहारों की समाप्ति मानी जाती है।
वट सावित्री व्रत या बड़मावस ( ज्येष्ठ अमावस्या ) सावित्री व्रत या सावित्री अमावस्या, नेपाल और भारतीय राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक उपवास दिवस है| विवाहित हिंदू महिलाएं जिनके पति जीवित हैं वे इसे बड़े समर्पण के साथ एक व्रत के रूप में मनाती हैं। इस दिन स्त्रियाँ बड/बरगद की पूजा करती है ।
शिवरात्री – फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी (तेरस) को। यह शिवजी का जन्मोत्सव है इस दिन शिव पुराण का पाठ करते है। घुष्मेश्वर महादेव मंदिर -शिवाड़ (सवाई-माधोपुर) की शिवरात्री प्रमुख है। इस दिन करौली में पशु मेला आयोजित होता है।
बसंत पंचमी – माघ शुक्ल पंचमी को। इस दिन भरतपुर में कृष्ण-राधा की लीलाओं का आयोजन होता है। इस दिन कामदेव व रति की पूजा की जाती है। यह दिन बसन्त के आगमन का प्रथम दिवस माना जाता है।
निर्जला एकादशी ( ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी ) :- निर्जला एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है। यह हिंदू माह ज्येष्ठ (मई / जून) के वैक्सिंग पखवाड़े के 11 वें चंद्र दिवस (एकादशी) पर पड़ता है | निर्जला एकादशी सभी 24 एकादशियों में सबसे पवित्र है। यह एकादशी इस दिन मनाया जाने वाले जल-कम (निर्-जल) से इसको निर्जला एकादशी कहते है। निर्जला एकादशी दिन बिना जल के व्रत किया जाता है ।
पीपल पूर्णिमा ( ज्येष्ठ पूर्णिमा ) :-यह ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है | पीपल पूर्णिमा के दिन पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है | हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा एक साल में पड़ने वाली पूर्णिमा में से सबसे ज्यादा माने जाने वाली पूर्णिमा है|
मकर सक्रांति – 14 जनवरी को ज्ञातव्य है कि सन् 2008 में मकर सक्राति 15 जनवरी को थी। मकर सक्रांति को दिन सूर्य कर्क राशि में मकर राशि में प्रवेश करता है। मोनी अमावस्या – माघ अमावस्या को। इस दिन मोन व्रत किया जाता है।
महापर्व – कार्तिक पूर्णिमा को। गुरू नानक जयन्ती। चुरू में साहवा का मेला।अजमेर में पुष्कर मेला। कोलायत (बीकानेर) में कपिल मुनि का मेला। झालरापटन (झालावाड़) में चंद्रभागा का मेला।
गणेश चतुर्थी :-गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी (विनायक चतुर्थी) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हिंदू त्यौहार है। इस दिन शेखावाटी में लड़को के सिंजारे आते है ।यह त्योहार निजी तौर पर घरों में, या सार्वजनिक रूप से विस्तृत पंडालों (अस्थायी रूप से) पर गणेश मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना के साथ चिह्नित है। इस दिन रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में मेला लगता है जो बहुत प्रसिद्ध है।
दीपावली – कार्तिक अमावस्या को। हिंदुओ का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या में लौटे थे।
करवा चैथ – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को। अहोई अष्टमी – कार्तिक कृष्ण अष्टमी को। स्याऊं माता की पूजा की जाती है। इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल व्रत करती है। तुलसी एकादशी – कार्तिक कृष्ण एकादशी को।
गोगा नवमी ( भाद्र कृष्ण नवमी ) :-गोगाजी चौहान राजस्थान के लोक देवता हैं |
भादों कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला भरता है। यह मेला राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी में लगता है |
हरियाली अमावस्या – श्रावण अमावस्या को हरियाली अमावस्या मेंला/ कल्पवृक्ष मेला इसी दिन मांगलियावास (अजमेर) में भरता है। छोटी तीज/झूला तीज/श्रावणी तीज/हरियाली
तीज – श्रावण शुक्ल तीजतीज की सवारी के लिए जयपुर प्रसिद्ध है। इस दिन से त्यौहारों का आगमन माना जाता है।
रक्षाबंधन – श्रावण पूर्णिमा को इसे नारियल पूर्णिमा भी कहते है।
कजली तीज/बडी तीज/सातुडी तीज – भाद्र कृष्ण तीज को कजली तीज बूंदी की प्रसिद्ध है। यह त्यौहार स्त्रियों द्वारा सुहाग की दीर्घायु व मंगलकामना के लिए मनाया जाता है।
हल हट्ट – भाद्र कृष्ण षष्टी को
जन्माष्टमी – भाद्र कृष्ण अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस। पूर्वी क्षेत्र में लोकप्रिय है।
गोगानवमी – भाद्रपद कृष्ण नवमी को। इस दिन हनुमागढ़ जिले में गोगामेड़ी नामक स्थान पर मेला भरता है।
बच्छब्बारस – भाद्रपद कृष्ण द्वादषी को। इस दिन पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की मंगलकामना के लिए व्रत करती है। बछडे की पूजा की जाती है।
राधाष्टमी – भाद्रपद शुक्ल अष्ठमी को। इस दिन निम्बार्क सम्प्रदाय का मेला सलेमाबाद (अजमेर) में भरता है।
तेजादशमी – भाद्रपद शुक्ल दशमी को देव झुलनी/जल झुलनी एकादशी – भाद्रपद शुक्ल एकादशी बेवाण, पर देवताओं की सवारी निवाली जाती है। सांवलिया जी का मेला मण्डफिया से इसी दिन भरता है।
श्राद्ध पक्ष – भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक।
नवरात्र – आश्विन शुक्ल एकम् से शुक्ल नवमी तक शारदीय नवरात्रे कहलाते है।
दुर्गाष्टमी – आश्विन शुक्ल अष्टमी को बंगाल (भारत) व बागड़ (राजस्थान) में इस दिन मेले भरते है।
आंवला नवमी/अक्षय नवमी (कार्तिक शुक्ल नवमी) आंवला नवमी आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है । यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इसकोअक्षय नवमी भी कहा जाता है।
गोवर्धन पूजा व अन्नकूट (कार्तिक शुक्ल एकम्) गोवर्धन पूजा नाथद्वारा (राजसमन्द) का प्रसिद्ध महोत्सव है । यह त्योहार पूरे भारत और विदेशों में अधिकांश हिंदू संप्रदायों द्वारा मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन मन्दिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है । गोवर्धन दिन सुबह के समय गौ के गोबर से गोवर्धन की पूजा की जाती है।

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