राजस्थान में चौहान वंश उत्पति एव चौहान वंश के प्रमुख शासक महत्व।
शिक्षा डेस्क :-चौहान वंश की अनेक शाखाओं में 'शाकंभरी चौहान' (सांभर-अजमेर के आस-पास का क्षेत्र) की स्थापना लगभग 7वीं शताब्दी में वासुदेव ने की। वासुदेव के बाद पूर्णतल्ल, जयराज, विग्रहराज प्रथम, चन्द्रराज, गोपराज जैसे अनेक सामंतों ने शासन किया। शासक अजयदेव ने ‘अजमेर’ नगर की स्थापना की और साथ ही यहाँ पर सुन्दर महल एवं मन्दिर का निर्माण करवाया। 'चौहान वंश' के मुख्य शासक इस प्रकार थे
अग्निवंशी- अग्निकुंड का सिद्धान्त चंदबरदाई की पुस्तक पृथ्वीराज रासो में दिया गया था। अग्निकुंड के सिद्धान्त के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया था इस यज्ञ के अग्निकुंड से चार राजपूत वंशों की उत्पत्ति हुई थी। जैसे-
अग्निकुंड से उत्पन्न राजपूत वंश-
1. चौहान वंश (सबसे अंत में)
2. चालुक्य (सोलंकी)
3. परमार
4. प्रतिहार
कालांतर में मुहणौत नैणसी व सूर्यमल्ल मीसण ने भी अग्निकुंड के सिद्धान्त का समर्थन किया था। चालुक्यों को सोलंकी भी कहा जाता था। अग्निकुंड से उत्पन्न इन चारो राजपूत वंशों में सबसे अंत में चौहान वंश उत्पन्न हुआ था।
सूर्यवंशी:- वंश को सूर्यवंशी (“ सूर्य का घर ,” या सौर लोग), या महाकाव्य रामायण के नायक राम के वंशजों के बीच विभाजित किया जा सकता है। और चंद्रवंशी ("चंद्रमा का घर," या चंद्र लोग), या जो महाकाव्य महाभारत के नायक कृष्ण के वंशज हैं।वेद - सामवेद। गोत्र - कश्यप तथा शुनक। बैस क्षत्रिय सूर्यवंश के अन्तर्गत माने जाते हैं। गोत्र- भारद्वाज।
पृथ्वीराज विजय (पुस्तक)
हम्मीर महाकाव्य (पुस्तक)
हम्मीर रासो (पुस्तक)
विग्रहराज चतुर्थ का अजमेर अभिलेख
गौरीशंकर हीराचन्द औझा (इतिहासकार)
इस सभी के अनुसार चौहान सूर्यवंशी थे।
चन्द्रवंशी:- चन्द्रवंश प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित क्षत्रिय वर्ण, या योद्धा-शासक जाति का एक प्रसिद्ध प्रमुख वंश है। इस पौराणिक राजवंश को चंद्रमा से संबंधित देवताओं (सोम या चंद्र) का वंशज कहा गया था। माना जाता है कि हिंदू देवता कृष्ण ,चन्द्रवंश की यदुवंश शाखा में जन्मे थे।गोत्र- भार्गव। प्रवर- तीन - भार्गव, नीलोहित, रोहित। वेद - यजुर्वेद। चंद्र वंश की शाखा जो अग्नि वंश के रूप में प्रचारित हुई है।
हाँसी (हरियाणा) अभिलेख
अचलेश्वर अभिलेख
इन दो अभिलेखों के अनुसार चौहान चन्द्रवंशी थे।
ब्राह्मण-
बिजौलिया अभिलेख
चन्द्रावती अभिलेख
कायम रासो (पुस्तक)
दशरथ शर्मा (इतिहासकार)
इन सभी के अनुसार चौहान ब्राह्मण थे।
विदेशी-
जेम्स टाॅड
विलियम क्रुक
वी. स्मिथ
इन सभी के अनुसार चौहान विदेशी थे।
राजस्थान में चौहानों के मूल स्थान सांभर के आसपास वाला क्षेत्र माना जाता था। इस क्षेत्र को सपादलक्ष के नाम से जानते थे, प्रारम्भिक चौहान राजाओं की राजधानी अहिच्छत्रपुर (हर्षनाथ की प्रशस्ति) थी जिसे वर्तमान में नागौर के नाम से जानते हैं। चौहानों की उत्पति का कोई एक सर्वमान्य मत नहीं है, चन्दबरदाई के पृथ्वीराजरासो में चौहानों की उत्पति अग्निकुण्ड से बताई गई, इसके अनुसार आबु में गुरू वशिष्ठ द्वारा जो यज्ञ किया गया इस यज्ञ में चौथे यौद्धा के रूप में चौहानों की उत्पत्ति हुई। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने चौहानों को मध्य एशिया का स्वीकार करते हुए इन्हे विदेशी माना है, राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार ओझा व नयनचन्द्र सूरी ने चौहानों को सूर्यवंशी बताया वही डॉ. दशरथ शर्मा ने बिजौलिया से प्राप्त शिलालेख के आधार पर चौहानों को ब्राह्मण बताया।
अजमेर के चौहान :- वासुदेव चौहान: चौहानों का मूल स्थान जांगल देश में सांभर के आसपास सपादलक्ष को माना जाता हैं इनकी प्रांरभिक राजधानी अहिछत्रपुर (नागौर) थी। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार सपादलक्ष के चौहान वंश का संस्थापक वासुदेव चौहान नामक व्यक्ति था, जिसने 551 ई के आसपास इस वंश का प्रारंभ किया। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार सांभर झील का निर्माण भी इसी ने करवाया था। इसी के वंशज अजपाल ने 7वीं सांभर कस्बा बसाया तथा अजयमेरू दुर्ग की स्थापना की थी।
विग्रहराज चतुर्थ :-चौहान वंश का सबसे शक्तिशाली शासक विग्रहराज चतुर्थ थे। यह वीसलदेव के नाम से विख्यात थे। इसने तुर्क शासक खुसरु साह को लाहौर में परास्त किया। इसने हरिकेलि नामक संस्कृत नाटक की रचना किया। वह एक महान कवि और लेखक था। इसका दरबारी कवि सोमदेव था। सोमदेव ने ललित विग्रहराज नामक ग्रंथ की रचना किया। विग्रहराज चतुर्थ ने अजमेर में एक संस्कृत विद्यालय (सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ) निर्माण किया था। इस विद्यालय को कुतुबुद्दीन ऐबक ने नष्ट कर यहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया जिसका नाम 'अढाई दिन का झोपड़ा' पड़ा।
अजयराज:- चौहान वंश का दूसरा प्रसिद्ध शासक अजयराज हुआ, जिसने (पृथ्वीराज विजय के अनुसार) 1113 ई. के लगभग अजयमेरू (अजमेर) बसाकर उसे अपने राज्य की राजधानी बनाया। उन्होंने अन्हिलापाटन के चालुक्य शासक मूलराज प्रथम को हराया। उन्होनें श्री अजयदेव नाम से चादी के सिक्के चलाये। उनकी रानी सोमलेखा ने भी उने नाम के सिक्के जारी किये।
पृथ्वीराज चौहान :- इस वंश के महान शासक पृथ्वीराज I या पृथ्वीराज चौहान हुआ। इसका जन्म 1166 ईस्वी में गुजरात के पाटन में हुआ। पिता सोमेश्वर के देहांत के पश्चात 14 वर्ष की अवस्था में यह अजमेर का शासक बना। अल्प व्यस्त होने के कारण इसकी माता कर्पूर देवी संरक्षिका बनी। सत्ता संचालन में मंत्री केम्बास, भुवनैकमल्ल (कर्पूर देवी के चाचा) और सेनापति स्कन्द ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। पृथ्वीराज चौहान 1178 में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। पृथ्वीराज चौहान ने सबसे पहले 1182 में परमर्दि देव को परास्त किया। इसके बाद जयचंद के साथ युद्ध किया क्योंकि जयचंद ने परमर्दि देव का सहयोग किया था। दोनों दिल्ली को प्राप्त करना चाहते थे। इसके बाद गुजरात के चालुक्य शासक भीम प्रथम को परास्त किया। पृथ्वीराज तृतीय ने 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गोरी को हरा दिया था। 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान का सहयोग नहीं किया। जिसके कारण इसे हार का सामना करना पड़ा। गोरी अजमेर को ध्वस्त किया और 1192 में अजमेर में पृथ्वीराज की हत्या कर दिया।
अर्णोराज: -अजयराज के बाद अर्णोंराज ने 1133 ई. के लगभग अजमेर का शासन संभाला। अर्णोराज ने तुर्क आक्रमणकारियों को बुरी तरह हराकर अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया। चालुक्य शासक कुमारपाल ने आबू के निकट युद्ध में इसे हराया। इस युद्ध का वर्णन प्रबन्ध कोश में मिलता है। अर्णोराज स्वयं शैव होते हुए भी अन्य धर्मो के प्रति सहिष्णु था। उनके पुष्कर में वराह-मंदिर का निर्माण करवाया।
विग्रहराज चतुर्थ:- विग्रहराज-चतुर्थ (बीसलदेव) 1153 ई. में लगभग अजमेर की गद्दी पर आसीन हुए। इन्होंने अपने राज्य की सीमा का अत्यधिक विस्थार किया। उन्होंने गजनी के शासक अमीर खुशरूशाह (हम्मीर) को हराया तथा दिल्ली के तोमर शासक को पराजित किया एवं दिल्ली को अपने राज्य में मिलाया। एक अच्छा योद्धा एवं सेनानायक शासक होते हुए व विद्वानों के आश्रयदाता भी थे। उनके दरबार मे सोमदेव जैसे प्रकाण्ड विद्वान कवि थे। जिसने ‘ललित विग्रहराज‘ नाटक को रचना की। विग्रहराज विद्वानों के आश्रयदाता होने के कारण ‘कवि बान्धव‘ के नाम से जाने जाते थे। स्वयं विग्रहराज ने ‘हरिकेलि‘ नाटक लिखा। इनके काल को चोहन शासन का ‘स्वर्णयुग‘ भी कहा जाता है।



Comments
Post a Comment