जयसमन्द झील – उदयपुर
● अन्य नाम – ढेबर झील
● निर्माण – 1685 – 1691 में महाराणा जयसिंह द्वारा गोमती नदी पर।
● विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है।
● इस झील में सात टापू स्थित है – सबसे बड़ा टापू – बाबा का भांगड़ा, सबसे छोटा टापू – प्यारी
● इस झील से सिंचाई के लिए दो नहरें निकाली गयी है – श्यामपुरा नहर, भाट नहर
● हवामहल एवं रूठी रानी का महल इसी झील के किनारे स्थित है।
राजसमन्द - यह उदयपुर से 64 किलोमीटर दूर कांकरौली स्टेशन के पास स्थित है। यह 6.5 किलोमीटर लंबी और 3 किलोमीटर चौड़ी है। इस झील का निर्माण 1662 ई0 में उदयपुर के महाराणा राजसिंह के द्वारा कराया गया। इसका पानी पीने एंव सिचाई के काम आता है। इस झील का उत्तरी भाग नौ चौकी के नाम से विख्यात है जहां संगमरमर की 25 शिला लेखों पर मेंवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में अंकित है।
पिछोला झील - यह उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध और सुन्दरतम् झील है। इसके बीच में स्थित दो टापूओं पर जगमंदिर और जगनिवास दो सुन्दर महल बने हैं। इन महलों का प्रतिबिंब झील में पड़ता है। इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासन काल में एक बंजारे ने 14वीं शताब्दी के अंत में करवाया था। बाद में इसे उदय सिंह ने इसे ठीक करवाया। यह झील लगभग 7 किलोमीटर चौड़ी है।
आनासागर झील :- अजमेर इसका निर्माण 1135 से 1137 में अर्णोराज ने करवाया था। इस झील के किनारे सम्राट जहाँगीर ने दौलतबाग लगाया था जिसे सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है। शाहजहां ने संगमरमर की बारहदरी का निर्माण करवाया था। (अपने शासन काल के 9 वे वर्ष में )
फतेहसागर झील:- इस झील का निर्माण महाराणा जयसिंह ने उदयपुर में करवाया था तथा इसकी पूर्ण आधारशिला ड्यूक ऑफ़ कनोट ने रखी थी। तथा इस झील का पुनर्निर्माण महाराजा फतेह सिंह ने करवाया था। इस झील को देबाली तालाब तथा कनोट बांध के नाम से भी जाना जाता है। इस झील में नेहरू टापू बना है जिसे नेहरू उद्यान भी कहा जाता है तथा इस नेहरू टापू पर गुजरात की सहायता से प्रथम सौर वेधशाला स्थापित की गई थी। इस झील पर बेल्जियम की सहायता से टेलिस्कोप का निर्माण कार्य किया जाता है। इस झील के किनारे पर सहेलियों की बाड़ी स्थित है।
पुष्कर झील- अर्धचंद्राकार आकार में बनी ये झील राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। इस झील को तीर्थराज/कोकण तीर्थ/तीर्थों का मामा तथा हिंदुओं का पंचम तीर्थ कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस झील का निर्माण ब्रह्मा जी ने करवाया था। यह सबसे बड़ी प्राकृतिक झील मानी जाती है। ये राजस्थान की सबसे पवित्र तथा प्रदूषित झील मानी जाती है। इस सबसे प्राचीन झील पर कुल 52 घाट स्थित है जिनमें सबसे बड़ा घाट जयपुर घाट तथा सबसे पवित्र घाट गौ घाट को माना जाता है। इस झील पर जनाना घाट का निर्माण 1911 में मैडम मेरी ने करवाया था इस घाट पर महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन किया गया था इसलिए इसे गांधी घाट भी कहा जाता है। इस झील पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेले का आयोजन होता है तथा इस मेले को राजस्थान का सबसे रंगीन मेला कहा जाता है। इस झील के किनारे मान पैलेस, ब्रह्मा जी का मंदिर, सावित्री माता का मंदिर तथा रंगनाथ जी का मंदिर स्थित है।
नक्की झील :- सिरोही माउण्ट आबू में रघुनाथजी के मंदिर के पास। राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित झील। ऐसा माना जाता है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर किया था। इस झील के किनारे तीन आकृतियां बनी हुई है।
1.टॉड रॉक – मेंढक के समान आकृति
2.नन रॉक – घूंघट निकले स्त्री
3.पेरत रॉक – तोते के समान
यह दूसरी क्रेटर झील भी मानी जाती है। इस झील के पास पर्वत में हाथी गुफा, चम्पा गुफा तथा राम झरोखा आदि गुफाएं स्थित है।
फाई सागर:- यह भी एक प्राकृतिक झील है और अजमेर में स्थित है। इसका पानी आना सागर में भेज दिया जाता है क्योंकि इसमें वर्ष भर पानी रहता है।
पंचभदरा झील (बाड़मेर)
पंचभदरा झील बाड़मेर जिले के बालोतरा में स्थित है। इस झील में सोडियम क्लोराइड की मात्रा 98% है। इस झील में खारवेल जाति के लोग मोरड़ी नामक झाड़ी से नमक के स्फेटिक बनाते है।
सिलीसेढ़ झील - यह एक प्राकृतिक झील है तथा यह झील दिल्ली-जयपुर मार्ग पर अलवर से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। यह झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है।
बालसमन्द झील - यह झील जोधपुर के उत्तर में स्थित है तथा इसका पानी पीने के काम में आता है।
कोलायत झील - यह झील कोलायत में स्थित है जो बीकानेर से 48 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहां कपिल मुनि का आश्रम है तथा हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला लगता है।
फतह सागर - यह पिछोला झील से 1.5 किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण राणा फतह सिंह ने कराया था। यह पिछोला झील से निकली हुई एक नहर द्वारा मिली है।
उदय सागर - यह उदयपुर से 13 किलोमीटर दूर स्थित है। इस झील का निर्माण उदयसिंह ने कराया था।
बालसमन्द झील :- जोधपुर इसका निर्माण 1159 में परिहार शासक बालक राव ने करवाया था।
गजनेर झील :- बीकानेर निर्माण – महाराजा गजसिंह के द्वारा इसे “बीकानेर का शुद्ध पानी का दर्पण” कहा जाता है।
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