राजस्थान के प्रमुख खनिज संसाधन की महत्वपूर्ण जानकारी।
शिक्षा डेस्क :- राजस्थान के प्रमुख संसाधन राजस्थान में सर्वाधिक उपलब्ध खनिज राॅक फास्फेट है। राजस्थान जास्पर,बुलस्टोनाइट व गार्नेट का समस्त उत्पादन का एक मात्र राज्य है। सीसा जस्ता, जिप्सम, चांदी,संगमरमर,एस्बेसटाॅस,राॅकफास्फेट,तामड़ा, पन्ना, जास्पर, फायरक्ले,कैडमियम में राजस्थान का एकाधिकार है।
राजस्थान की गणना खनिज सम्पदा की दृष्टि से सम्पन्न राज्यों में होती है। राज्य का देश के कुल खनिज उत्पादन में योगदान लगभग 22% है। राज्य देश के कुल खनिज उत्पादन का 15% धात्विक खनिज, 25% अधात्विक खनिज व 26% लघु श्रेणी के खनिज उत्पादित करता है।
वर्ष 1950-51 में राज्य में लगभग 15 प्रधान व 6 लघु खनिजों को दोहन होता था। जबकि वर्तमान में लगभग 58 प्रकार के खनिजों का दोहन होता है। राज्य में 79 प्रकार के खनिज पाये जाते हैं। खनिज भण्डारों की दृष्टि से राजस्थान, झारखण्ड के बाद दूसरा स्थान रखता है।
अलौह धातु (सीसा, जस्ता, ताँबा) के उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम स्थान रखता है।
विविधतापूर्ण खनिज सम्पदा के कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहते हैं।
राजस्थान जास्पार, वोलेस्टोनाइट व गार्नेट के उत्पादन में देश में एकाधिकार रखता है।
जास्पार, वोलेस्टोनाइट व गार्नेट के अलावा 11 खनिजों के उत्पादन में राज्य देश में प्रथम स्थान रखता है, ये 11 खनिज हैं—सीसा, जस्ता, जिप्सम, टंगस्टन, एस्बेस्टॉस, रॉक फास्फेट, फेल्सपार, फ्लोराइट, चांदी, मार्बल, सोप स्टोन।
ऊर्जा खनिजों में लिग्नाइट एवं तेल व प्राकृतिक गैस के उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। बाड़मेर, बीकानेर एवं नागौर में लिग्नाइट के भण्डार बहुतायत से है। लिग्नाइट का उत्पादन बाड़मेर के गिरल, बीकानेर के बरसिंगसर क्षेत्र में हो रहा है।
जैसलमेर के सानू क्षेत्र में सीमेन्ट ग्रेड व एस.एम.एस.ग्रेड के चूना पत्थर के भण्डार है। यहाँ से एस.एम.एस. ग्रेड का चूना पत्थर पूर्वी भारत के स्टील संयंत्रों (बोकारो, भिलाई) में निर्यात किया जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दु
खनिज नीति, 1994 –आदिवासी एवं मरू क्षेत्रों की खनिजों की खोज में प्राथमिकता, ST/SC/OBC को पट्टा वितरण में प्राथमिकता, परामर्शदात्री परिषद की स्थापना । ग्रेनाइट एवं मार्बल नीति, 2002 –SC/ST/OBC/विकलांग/शहीद आश्रित/महिला को प्राथमिकता। विजन-2020 (1999 में घोषित) उद्देश्य-राज्य की खनिज सम्पदा के विकास हेतु संस्थाएँ स्थापित करना।
वैज्ञानिक आधार पर विदोहन, खनिज क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाएँ, राजस्व प्राप्ति में वृद्धि करना।
• RSMDC-1979 (20.02.2003 को RSMML में विलय) |
• RSMML (उदयपुर)-1974 में स्थापित।
• राज.रा. टंगस्टन विकास निगम लि.-1983 (वर्तमान में बंद)
• HCL (भारत सरकार)-1967
• HZL (भारत सरकार)-1966, 25 जून 2006 को जिंक स्मेल्टर, चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) प्रारम्भ
• क्रूड ऑयल टर्मिनल-नागाणा (बाड़मेर) में प्रस्तावित
• बाँसवाड़ा में स्वर्ण भण्डारों की खोज-इंडो गोल्डल कं. (ऑस्ट्रेलिया) द्वारा।
प्रमुख खनिज पदार्थ
धात्विक खनिज
लौह अयस्कः- प्रमुख अयस्क- मेग्नेटाइट, हेमेटाइट, लीमोनाइट और सीडेराइट। प्रमुख स्थानः जयपुर- मोरीजा-बानोल दौसा- नीमला-राइसेला, लालसोट क्षेत्र झुंझुनूं- डाबला-सिंघाना उदयपुर- नाथरा की पाल, थूर हुण्डेर सीकर – नीमकाथाना, रामपुरा डाबला
सोना- सोना शुद्धतम रूप से प्राप्त होने वाली धातु है। सोने के लिए राजस्थान में चर्चित जिले बांसवाड़ा व डूंगरपुर है। सोने के उत्पादन के लिए राजस्थान में बांसवाड़ा की आनंदपुर भुकिया व जगपुर की खाने प्रसिद्ध है। वर्तमान में राजस्थान में अलवर, दौसा, सवाईमाधोपुर से सोने के भण्डार मिले है।
टंगस्टनः-वुल्फ्रेमाइट, शीलाइट इसके उत्पादन में भारत में राजस्थान का एकाधिकार है। राजस्थान में करीब 23.92 मिलियन टन टंगस्टन के जमाव है, जो देश का लगभग 17 प्रतिशत है। महत्व- यह धातु उच्च ताप पर भी नहीं पिघलती हे। इसका गलनांक बिन्दु 1350 डिग्री सेल्सियस होता है। इसका उपयोग बिजली के बल्बों, इस्पात को कड़ा करने, चीजों का काटने व सुरक्षा सामग्री के निर्माण में किया जाता है। नौगार जिले के डेगाना के निकट भाकरी गांव में रेव पहाडी प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। सेवरिया, पीपलिया, बीजाथल।सिरोही: वाल्दा गांव राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास निगम पाली .
चांदी- चांदी विद्युत का अच्छा सुचालक होता है। चांदी उत्पादन में भारत में राजस्थान का प्रथम स्थान है। भारत के कुल चांदी उत्पादन का 90 प्रतिशत चांदी उत्पादन राजस्थान से होता है। चांदी सीसे व जस्ते के साथ निकलती है। चांदी के मुख्य अयस्क अर्जेन्टाइट, हाॅर्न सिल्वर व जाइराजाइट है। चांदी अयस्क का शोधन बिहार की ढुंडु नामक जगह पर होता है। राजस्थान में चांदी की सबसे बड़ी खान उदयपुर जिले की देबारी नामक जगह पर स्थित जावर की खान है। जिसकी जानकारी राणा लाखा के समय मिली थी। जावर का प्राचीन नाम योगिनी पट्टनम था। जावर (देबारी, उदयपुर) में रमाबाई का कुण्ड व मंदिर स्थित है। रमाबाई महाराणा कुम्भा की पुत्री थी जो वागीश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
सीसा और जस्ता:- प्रमुख अयस्क- गेलेना राजस्थान में भारत का 80 प्रतिशत सीसा एवं 90 प्रतिशत जस्ता का उत्पादन होता है। उदयपुर के देबारी गांव के पास सीसा-जस्ता शोधन संयंत्र लगाया गया है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रः जावर क्षेत्र, मोचिया मगरा पहाड़ी, उदयपुर राजपुर-दरीबा, राजसमंद रामपुरा आगूचा, गुलाबपुरा, पुरा-बनेडा, भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ में चन्देरिया जस्ता संयंत्र भारत सरकार ने स्थापित किया। चौथ का बरवाड़ा, सवाईमाधोपुर गुढ़ा किशोरीदास, अलवर
मैगनीज:- साइलोमैलीन, ब्रोनाइट, पाइरोलुसाइट, मैगनीज के मुख्य अयस्क है। बांसवाड़ा(सर्वाधिक भण्डार वाला जिला) – लीलवाना, तलवाड़ा, सागवा, तामेसर, कालाबूटा। अन्य उत्पादक जिले उदयपुर – देबारी, स्वरूपपुरा, नैगाडि़या राजसमंद – नाथद्वारा
अधात्विक खनिज
इमारती पत्थरः-प्रथम स्थान राजस्थान में जोधपुर, कोटा, चित्तौडगढ, बीकानेर में। जालौर में गुलाबी रंग का ग्रेनाइट अजमेर में बांदनवाडा के पास षमालिया गांव में काले ग्रेनाइट के भंडार मिले जोधपुरः लाल, जैसलमेर: पीला धौलपुरः रेड डायमंड, करौलीः मेहरून अलवरः स्लेटी, कोटाः कोटा स्टोन
घीया पत्थरः स्टेटाइटउदयपुर में सबसे अधिक देवपुरा लोहार गढ, जाथरा की पाल, ऋषभदेव दौसाः डागोथा भीलवाडाः धेवरिया चांदपुरा
चूना पत्थर / लाइम स्टोन - यह राज्य में सर्वाधिक तथा सर्वव्यापी खनिज है, जो अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है। इसका उपयोग सीमेन्ट उद्योग में होता है, इसी कारण राजस्थान में जहाँ चूना पत्थर (कैल पाया जाता है, वहाँ सीमेंट उद्योग की अधिकांश संभावना होती है। राजस्थान में सर्वाधिक चूना उद्योग चित्तौडगढ़ में है और चूना उत्पादन की दृष्टि से चित्तौडगढ़ जिला प्रथम स्थान पर है।
जिप्सम : - भारत में जिप्सम के कुल उत्पादन का 99% उत्पादन राजस्थान में होता है, इसी कारण इसके उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। इसके रवेदार रूप को सैलेनाइट कहते हैं। इसका उपयोग मिट्टी की क्षारीयता व लवणता की समस्या को दूर करने में व उर्वरक खजिन बनाने में किया जाता है। उत्पादक क्षेत्र - गोठ-माँगलोद, भदवासी (नागौर), रामसर व जामसर (बीकानेर), मोहनगढ़ (जैसलमेर) में। जिप्सम के 2 तिहाई भण्डार नागौर (राज्य में प्रथम) जिले में पाया जाता है।
कोयलाः- लिग्नाइट प्रकार का बीकानेर- पलाना, गुढा, बरसिंगसर, नायासर नागौर- मेडता रोड बाडमेर- कपूरडी और जालिपा, गिरल कपूरडी, बरसिंगसर, पलाना तथा गिरल में लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई है।
ग्रेनाइट- यह आग्नेय चट्टान में मिलता है, जो कि कठोर होता है। विश्व में यह सबसे महंगा पत्थर है। राज्य में मुख्यतः ग्रेनाइट छप्पन की पहाड़ी सिवाना (बाड़मेर) से प्राप्त होता है, इसी कारण छप्पन की पहाड़ी को ग्रेनाइट पर्वत एवं जालौर को 'ग्रेनाइट सिटी' कहते हैं। राजस्थान में जालौर से पिंक ग्रेनाइट (गुलाबी), जयपुर जिले के कालाडेरा से काला ग्रेनाइट, बाँधनवाड़ा (अजमेर) से गुलाबी काला ग्रेनाइट तथा जैसलमेर से पीला ग्रेनाइट प्राप्त किया जाता है।


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