राजस्थान में पंचायत व्यवस्था को कब अपनाया गया था।
राजस्थान की पंचायत व्यवस्था
शिक्षा डेस्क : -भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।
भारतीय संविधान में अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है। 24 अप्रैल 1993 को 73 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा हासिल हुआ।
बलवंत राय मेहता समिति :-बलवंत राय मेहता समिति का गठन पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए वर्ष 1956 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में किया गया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1957 में प्रस्तुत की। इस समिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल 1958 को लागू किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार - लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायती राज व्यवस्था को तुरंत शुरुआत की जानी चाइए।
पंचायती राज की व्यवस्था त्रिस्तरीय होनी चाइए। पंचायती राज व्यवस्था को मेहता समिति ने लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का नाम दिया। समिति ने ग्रामीण के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया वो निम्न है।
ग्राम - ग्राम पंचायत
खंड - पंचायत समिति
जिला - जिला परिषद
बलवंत राय मेहता समिति - 1957, तीन स्तरीय समिति
संथानम समिति - 1963, वित्तीय स्थिति मजबूत करने की सिफारिश
अशोक मेहता समिति - 1977, दो स्तरों व वित्त आयोग की स्थापना की सिफारिश
लक्ष्मीमल सिंघल समिति - 1986, सैवेंधानिक दर्जा देने की सिफारिश
बलवंत राय मेहता है। बलवंत राय मेहता को पंचायती राज संस्थाओं के जनक के रूप में जाना जाता है। बलवंत राय मेहता समिति (1957): सामुदायिक विकास कार्यक्रम के कामकाज को देखने के लिए गठित की गयी।
पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित प्रावधानों का भारतीय संविधान के भाग IX में उल्लेख किया गया है। भाग IX में पंचायती राज से संबंधित अनुच्छेद 243-243O में 'पंचायत' शीर्षक के तहत प्रावधान हैं। यह हिस्सा 73 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा जोड़ा गया है।
इस समिति का चुनाव पाँच वर्षों से होता है और इसके अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव, चुने हुये सदस्य मिलकर करते हैं। इसके अलावा अन्य सभी पंचायत समितियों पर्यवेक्षण के लिए एक सरपंच समिति भी होती है। तीन स्तरीय है। संविधान के अनुच्छेद 243-B के अनुसार 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में त्रिस्तरीय व्यवस्था होनी चाहिए। ग्राम में ग्राम पंचायतें। खंड/तहसील/तालुका में पंचायत समिति। दक्षिण भारत में सर्वप्रथम पंचायती राज लागू करने वाला राज्य आंध्र प्रदेश पंचायती राज लागू करने वाला दक्षिण भारत का पहला राज्य है।
भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
जिला दंडाधिकारी द्वारा अधिसूचित यथा संभव 7,000 की जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है । ग्राम पंचायत का प्रधान मुखिया कहलाता है ।
राजस्थान में ग्राम सभा की बैठक सभा की अनिवार्य बैठकों की संख्या राज्य पेसा नियम, राज्य पंचायती राज अधिनियम और राज्य पंचायती राज नियम के अनुसार होगी। कई राज्यों में एक वर्ष में ग्राम सभा की न्यूनतम चार अनिवार्य बैठकों का आयोजन करना अनिवार्य है। 24 अप्रैल है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज व्यवस्था का राष्ट्रीय दिवस है जिसे पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को मनाया जाता है।

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