जानिए 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता क्या है इसका महत्व।
शिक्षा डेस्क :- भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की थी और स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। महात्मा गांधी को प्रवासी माना जाता है। ऐसे में दक्षिण भारत से लौटे महात्मा गांधी ने जब देश की आजादी में अपना योगदान दिया तो उनकी याद में इस दिन को प्रवासी भारतीय दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।
प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में की थी। हालांकि इस दिन का इतिहास 1915 से जुड़ा हुआ है। स्वर्गीय लक्ष्मीमल सिंघवी ने पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की संकल्पना की थी। उनकी अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्च समिति की सिफारिशों के अनुसार इस दिन को मनाने का फैसला लिया। फिर 2003 में पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया।
हिंदू विश्वविद्यालय में 1916 है । 4 फरवरी 1916 को, दक्षिण अफ्रीका से बीएचयू में लौटने के बाद गांधीजी ने अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज की। गोपाल कृष्ण गोखले के आग्रह पर गांधी जी 21 साल बाद दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए। स्वदेश वापसी के बाद गांधी जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए और आगे चलकर देश के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
प्रवासी भारतीय दिवस की हर दो साल में एक विशेष थीम होती है। इसी थीम पर यह खास दिन मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय दिवस की स्थापना के बाद से वर्ष 2015 तक हर साल इस दिन को मनाया जाता था। हालांकि 2015 में संशोधन के बाद हर दो साल में एक बार इसे मनाने का फैसला लिया गया। उस साल प्रवासी भारतीय दिवस की थीम 'अपना भारत अपना गौरव' तय किया गया। फिर 2021 में आखिरी बार मनाया गया। कोविड 19 के कारण दो वर्ष तक प्रवासी भारतीय सम्मेलन आयोजित नहीं हुए। प्रवासी भारतीय दिवस 2023 की थीम 'प्रवासी: अमृत काल में भारत की प्रगति के विश्वसनीय भागीदार' है।
महात्मा गांधी के आने से पहले कांग्रेस पार्टी में दो धड़े बन चुके थे, एक नरम और दूसरा गरम दल। कई नेता अंग्रेजों को उनकी ही जुबान में जवाब देना चाहते थे, जबकि कुछ शांति का मार्ग अपनाकर संघर्ष के पक्ष में थे। गांधी जी ने सत्या और अहिंसा का मार्ग चुना और सत्याग्रह और असहयोग आंदोलनों से अंग्रेजी सरकार की नींव हिला दी। गांधी जी ने भारत लौटने के दो साल बाद बिहार के चम्पारण से आजादी के लड़ाई के लिए सत्याग्रह शुरू किया। इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है। गांधीजी की स्वदेश वापसी की याद में हर साल 9 जनवरी को प्रवासी दिवस मनाया जाता है।
गांधी जी के भारत आने के बाद लोग काफी खुश हुए थे। आधिकारिक वेबसाइट एमकेगांधी डाॅट ओअारजी के मुताबिक महात्मा गांधी जी से लोगों को काफी उम्मीदें थी क्योंकि एक प्रवासी वकील के रूप में उन्होंने साउथ अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये काफी संघर्ष किया था। ऐसे में गांधी ने भारत लौटने के यह निर्णय किया कि एक साल तक वे देश के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर लोगों की बात सुनेंगे जबकि वह खुद कुछ नहीं बोलेंगे।
महात्मा गांधी ने देश यात्रा करने के साथ ही मई 1915 को अहमदाबाद से सटे साबरमती नदी के तट पर अपने एक आश्रम की स्थापना हुई। इसका नाम सत्याग्रह आश्रम रखा गया था। यह गांधी जी के विभिन्न आश्रमों में से एक था। गांधी जी ने सन 1930 में साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा निकाली थी जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आश्रम के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्मारक की मान्यता दी।
महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया आंदोलन था।

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